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एक शांत व्यक्ति

poem

एक शांत व्यक्ति

पहले वो चालाक था,
दुनिया बदलने चला था।
अब वो बुद्धिमान है,
स्वयं को बदलने चला है।
कल वो स्वयं को मूर्ख समझेगा,
बस अपने विचारों को बदलेगा।

पहले वो मूर्ख था,
अब स्वयं को ज्ञानी समझता है,
कल फिर से स्वयं को मूर्ख समझेगा।
पहले मूर्ख, फिर ज्ञानी
फिर से मूर्ख।
यह कहानी है,
एक शांत व्यक्ति की।


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©  2025 Ganesh Kumar