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तुझसे रूठ कर भी मैं

poem

तुझसे रूठ कर भी मैं

मैं तेरे लिए ही करूँ
मैं सिर्फ तेरे साथ ही जियूँ
तुझसे रूठ कर भी मैं
तुझसे प्यार करूँ।

तुझसे है आसमान शुरू
तुझसे हर वक़्त जुड़ूँ
तेरी हर ख्वाहिश अपना बनाऊँ
तेरे हर दर्द मैं सहूँ।

तेरे हर लम्हे में सो जाऊँ तेरे संग खुद में खो जाऊँ
खुद से खुद तक का सफर
तेरे प्यार में पूरा हो जाऊँ।


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©  2025 Ganesh Kumar