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प्रकाश

poem

प्रकाश

मुझे नहीं पता था,
ऐसा कुछ होता है।
लोग खोज करते है उनकी,
जरूरत नहीं है जिनकी।
मैं यह देख हुआ अचंभित,
क्यों लोग है समझ से वंचित।

मूर्ख को धन की खोज करते देखा,
अंधे को सूर्य की खोज में देखा।
कोई बताए उन्हें,
मूर्ख को धन की नहीं,
जरूरत है ज्ञान की।
अंधे को सूर्य की नहीं,
जरूरत है आंख की।


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©  2025 Ganesh Kumar